शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

धान की बाली खाली-खाली

भागलपुर । कतरनी की सुगंध को लेकर चर्चित भागलपुर के किसानों की बैचेनी बढ़ गई है। चुनावी दंगल में अपनी उपेक्षा से आहत किसान नेताओं को कोस रहे हैं। प्रकृति की मार से इस बार किसानों की कोठी खाली ही रह जाएगी। बैजानी के 60 वर्षीय किसान मोहन मंडल नेताओं का नाम सुनते ही भड़क जाते हैं। कर्ज पर खेती करने वाले मोहन को मलाल है कि अगर सियासत के सुरमा किसानों के हितैषी होते तो उन्हें ये दिन देखने नहीं पड़ते। मोहन कहते हैं कि नेताओं को किसानों की आह से कोई वास्ता नहीं रह गया है। सुखाड़ के कारण विलंब से धान की रोपणी हुई। नतीजतन बाली में धान के दाने नहीं आए। यह व्यथा केवल मोहन की नहीं वरन उन सभी किसानों की है जिनकी नींद धान की फसल देख उड़ गई है। किसानों का कहना है कि अगर पंजाब, हरियाणा की तरह उनके यहां भी हर खेत तक सिंचाई की सुविधा होती तो शायद उन्हें ये दिन देखने नहीं पड़ते। पूंजी भी डूबने के कगार पर है। धान की फसल को किसान जानवरों को खिला रहें हैं। 50 वर्षीय किसान गणेश मंडल ने खरीफ के मौसम में दस हजार रूपए खर्च कर तीन बीघा धान रोपा है। लेकिन इस बार बारिश की कमी ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा है।

किसानों का कहना है कि सिंचाई सुविधा के अभाव में वे लोग डैम से नाला बनाकर पानी को खेतों तक लाते थे लेकिन इस बार गहरे खेतों में पानी किसी तरह पहुंचा। लेकिन ऊंचे खेतों में पानी नहीं पहुंचने से धान की खेती प्रकृति की भेंट चढ़ गई।

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