मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

खेती पर लटक रही खतरे की तलवार

भागलपुर । खेती पर खतरे की तलवार लटक रही है। खरीफ की खेती में किसानों को जोरदार झटका लगा है, उनकी पूंजी भी डूबने की कगार पर है। दरअसल, मौसम के भरोसे खरीफ में धान की खेती करने वाले किसानों को इस बार मानसून ने जोर का झटका दिया है। मानसूनी बारिश ने पिछले 40 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। 2010 में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक में अब तक महज 731 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जबकि अच्छी खेती के लिए कम से कम 1100 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी। पिछले साल इस महीने तक 1050 मिलीमीटर बारिश हुई थी। मौसम विभाग सबौर के प्रभारी मौसमी वेदशाला प्रभारी प्रो. वीरेन्द्र कुमार ने सोमवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों की हुई मासिक बैठक में मौसम विभाग का जो प्रतिवेदन प्रस्तुत किया उससे वैज्ञानिकों की नींद उड़ गई। उन्होंने बताया कि अगर मानसून की बारिश का यही हाल रहा तो खेती करना घाटे का सौदा साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस सीजन में किसानों को सबसे अधिक उम्मीद हथिया नक्षत्र से थी लेकिन इस नक्षत्र में भी महज 10 मिलीमीटर बारिश हुई। इस कारण खेतों में लगी धान की फसल में बाली नहीं निकली। कम बारिश होने से खेतों में काफी नमी है। इससे रबी फसल में खासकर गेहूं आदि की खेती भी बुरी तरह प्रभावित होगी। मौसम वैज्ञानिकों ने बारिश के पानी के संचयन तंत्र को विकसित कर सिंचाई प्रबंधन को मजबूत करने की जरूरत जताई है। मौसम विभाग ने नवंबर व दिसंबर में नहीं के बराबर बारिश होने की संभावना व्यक्त की है।

बागवानी की ओर बढ़ा किसानों का रूझान

भागलपुर । जिले के नौ प्रखंडों में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन पिछले दो सालों से मानसून की मार के कारण सुखाड़ की समस्या झेल रहे किसानों का रूझान अब बागवानी की ओर बढ़ा है। पीरपैंती, कहलगांव, शाहकुंड, जगदीशपुर जैसे धान बाहुल्य इलाकों में इस बार बड़े पैमाने पर आम के पौधे लगाए गए हैं। डोहराडीह के किसान उमाकांत सिंह ने बताया कि धान की खेती में काफी सिंचाई की जरूरत पड़ती है। सिंचाई की ठोस व्यवस्था नहीं होने से इस बार काफी खेत खाली रह गए। ऐसे में बागवानी की ओर किसानों का आकर्षण बढ़ा है। जिला उद्यान पदाधिकारी धु्रव कुमार झा ने बताया कि बागवानी किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है।

शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

धान की बाली खाली-खाली

भागलपुर । कतरनी की सुगंध को लेकर चर्चित भागलपुर के किसानों की बैचेनी बढ़ गई है। चुनावी दंगल में अपनी उपेक्षा से आहत किसान नेताओं को कोस रहे हैं। प्रकृति की मार से इस बार किसानों की कोठी खाली ही रह जाएगी। बैजानी के 60 वर्षीय किसान मोहन मंडल नेताओं का नाम सुनते ही भड़क जाते हैं। कर्ज पर खेती करने वाले मोहन को मलाल है कि अगर सियासत के सुरमा किसानों के हितैषी होते तो उन्हें ये दिन देखने नहीं पड़ते। मोहन कहते हैं कि नेताओं को किसानों की आह से कोई वास्ता नहीं रह गया है। सुखाड़ के कारण विलंब से धान की रोपणी हुई। नतीजतन बाली में धान के दाने नहीं आए। यह व्यथा केवल मोहन की नहीं वरन उन सभी किसानों की है जिनकी नींद धान की फसल देख उड़ गई है। किसानों का कहना है कि अगर पंजाब, हरियाणा की तरह उनके यहां भी हर खेत तक सिंचाई की सुविधा होती तो शायद उन्हें ये दिन देखने नहीं पड़ते। पूंजी भी डूबने के कगार पर है। धान की फसल को किसान जानवरों को खिला रहें हैं। 50 वर्षीय किसान गणेश मंडल ने खरीफ के मौसम में दस हजार रूपए खर्च कर तीन बीघा धान रोपा है। लेकिन इस बार बारिश की कमी ने किसानों को कहीं का नहीं छोड़ा है।

किसानों का कहना है कि सिंचाई सुविधा के अभाव में वे लोग डैम से नाला बनाकर पानी को खेतों तक लाते थे लेकिन इस बार गहरे खेतों में पानी किसी तरह पहुंचा। लेकिन ऊंचे खेतों में पानी नहीं पहुंचने से धान की खेती प्रकृति की भेंट चढ़ गई।

रविवार, 26 सितंबर 2010

मॉनसेंटो शुरू करेगी मोबाइल आधारित सेवा

भारत की अग्रणी बीज निर्माता कंपनी मॉनसेंटो इंडिया लि. मोबाइल आधारित सेवा डॉ. डिकॉल्व फॉर्म केयर के जरिए नवगछिया सहित बिहार के किसानों को खेती से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराएगी। रविवार को स्थानीय सधुआ प्राथमिक विद्यालय में आयोजित गोष्ठी में कंपनी के क्षेत्रीय पदाधिकारी विशाल आचार्य ने बताया कि इसके जरिए कंपनी किसानों को कीट प्रबंधन, कृषि संबंधित सलाह, बीज विक्रय केंद्रों की जानकारी इत्यादि सेवाएं मुफ्त प्रदान करेगी। इस दौरान तकरीबन दो सौ किसानों के मोबाइल नंबर एवं खेतों से संबंधित जानकारियों का ब्योरा भी कंपनी ने एकत्रित किया। इस मौके पर कंपनी के गोपाल कुमार, अनंत कुमार, सौरभ कुमार समेत सधुआ पंचायत के मुखिया राजेन्द्र प्रसाद भी मौजूद थे।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

नए रूप में दिखेगी दियारा की खेती

कृषि विभाग ने दियारा क्षेत्रों में खेती को बढ़ावा देने के लिए दियारा विकास परियोजना तैयार की है। इसके तहत भागलपुर जिले को 33 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से 11 लाख 14 हजार 41 रुपए की राशि भागलपुर जिले को उपलब्ध करा दी गई है। जिले के पीरपैंती, कहलगांव, नाथनगर, बिहपुर, गोपालपुर, रंगरा, सबौर इस्माइलपुर प्रखंड के दियारा क्षेत्रों (गंगा के तटीय इलाकों में) मिला कुल आठ प्रखंडों में इस योजना को लागू किया जाएगा।
क्या है दियारा विकास परियोजना
दियारा का अधिकांश हिस्सा बाढ़ में डूब जाता है। जब जमीन पानी से बाहर आती है तो बिना अधिक मेहनत के किसानों को इससे अच्छी उपज प्राप्त हो जाती है। अगस्त से लेकर जनवरी तक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों का चयन किया जाएगा और उन्हें सब्जी, दलहन की खेती, मछली पालन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को जिलास्तर के अलावा राज्यस्तर पर भी प्रशिक्षित किया जाएगा। लौकी, खीरा, परवल, तरबूज, खरबूज, करैला, झींगा, नेनुआ, सहजन, बोरा, शकरकन्द, तीसी, मिश्रीकंद, मसूर, गर्मा मूंग, मटर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि दियारा विकास योजना के तहत किसानों के बीच बीज वितरण, पौधा वितरण, कृषकों को राज्य के अंदर व बाहर भ्रमण एवं प्रशिक्षण का आयोजन कर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि किया जाना है। इसके अतिरिक्त बॉयो जैविक, एवं बॉयो रसायान का वितरण, मिनी किट वितरण आदि कार्यक्रमों के साथ- साथ जैविक सत्यापन, बेबीकॉर्न का बाजार व्यवस्था के साथ उत्पादन प्रमुख है। साथ ही किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए उनके लिए बांस बोरिंग की व्यवस्था की जाएगी। दियारा विकास परियोजना के तहत चयनित किसानों को बेबीकॉर्न की खेती की जानकारी दी जाएगी। बेबीकॉर्न यानी शिशु मक्का के बीज व जैविक उपादान उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों द्वारा उपजाए गए बेबीकॉर्न की खरीद की व्यवस्था सरकार द्वारा फल-सब्जी विकास निगम के माध्यम से की जाएगी। बेबीकॉर्न हर मौसम में उपजाया जा सकता है। एक एकड़ में मात्र 2400 रुपए का खर्च आता है। इसकी जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। बेबीकॉर्न का उपयोग लजीज व्यंजन बनाने, सलाद के रूप में काफी लोकप्रिय है।

बुधवार, 22 सितंबर 2010

आलू से चालू होगी किसानों की आमदनी

अब किसानों की सहभागिता और कृषि विज्ञान केन्द्र के तकनीकी सहयोग से बड़े पैमाने पर आलू एवं मटर की उन्नत किस्मों के बीजों का उत्पादन किया जाएगा। कृषि विज्ञान केन्द्र सबौर ने इसके लिए राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास परिषद, पटना के साथ पहल तेज कर दी है।

सोमवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, सबौर आए परिषद के वैज्ञानिक डॉ. प्रेम स्वरूप ने पीरपैंती, साहु परवत्ता, सरधो, पकड़तल्ला एवं कहलगांव सहित 25 किसानों के साथ विचारोपरांत बीज उत्पादन के लिए उनका निबंधन किया। इस मौके पर किसानों ने समझौते के आधार पर बीज के लिए प्रति हेक्टेयर क्रमश: 42 एवं 12 हजार रुपए भी जमा किए।

परिषद के वैज्ञानिक ने बीज उत्पादन के प्रति इच्छुक किसानों से कहा कि उनके द्वारा उत्पादित बीज को बाजार मूल्य पर खरीद भी लिया जाएगा और 15 हजार रुपए भी वापस कर दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त बीज उत्पादन में खाद एवं कीट नाशक दवाईयों पर खर्च हुए 15 हजार तक में उसकी क्रय रसीद प्रस्तुत करने पर साढ़े सात हजार रुपए की और वापसी की जाएगी।

वहीं मटर बीज उत्पादन के लिए किसानों से प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपए आधार बीज के लिए जमा लिए गए। उनके भी उत्पादित बीज बाजार मूल्य पर खरीद लिए जाएंगे और मौके पर ही 12 हजार रुपए वापस कर दिए जाएंगे। इसके अलावा खाद एवं कीट नाशक दवाई पर आये खर्च में भी पांच हजार रूपये की छूट दी जाएगी। उक्त जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने दी।

कार्यक्रम समन्वयक ने कहा

कृषि विज्ञान केन्द्र ने आगामी रबी मौसम में 100 से अधिक हेक्टेयर में उन्नत किस्मों के गेहूं बीज के उत्पादन की योजना बनाई है। इसके लिए जिले के विभिन्न प्रखंडों से इच्छुक किसानों का चयन कर लिया गया है। पीरपैंती के लक्ष्मीपुर में 72 एकड़, हरदों में 30, सुल्तानगंज के तिलकपुर में 40 तथा खानकित्ता में 12 एकड़ जमीन में गेहूं बीज के उत्पादन का लक्ष्य है। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि चयनित किसानों को विवि. दर पर प्रजनक एवं आधार बीज मुहैया कराया जाएगा तथा उत्पादक तकनीक कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक बताएंगे। पकड़तल्ला एवं सिमरों के पचास-पचास एकड़ भू-भागों में मसूर बीज उत्पादन की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

मंगलवार, 21 सितंबर 2010

किसानों के लिए रेडियो स्टेशन शुरू

बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले कृषि विज्ञान केन्द्र बाढ़ में किसानों के लिए कृषि आधारित रेडियो स्टेशन की शुरुआत कर दी गई है। 48.50 लाख की लागत से तैयार रेडियो स्टेशन से किसान हर दिन सुबह-शाम एक-एक घंटे खेती बारी से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से रेडियो स्टेशन के लिए लाइसेंस भी प्राप्त हो गया है। सोमवार को रेडियो स्टेशन के अधिकारियों ने कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी से आकर उन्हें इसकी जानकारी दी।

रेडियो स्टेशन के लिए आधुनिक प्रसारण केन्द्र भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा सबौर में भी 100 किलोमीटर प्रसारण क्षमता के रेडियो स्टेशन का प्रस्ताव है। यहां भी जल्द ही रेडियो स्टेशन चालू हो जाएगा। रेडियो स्टेशन के बाद किसानों की समस्याओं का जीवंत प्रसारण टीवी पर होगा। इसके लिए कुलपति डॉ. चौधरी की पहल ने रंग लाना शुरू कर दिया है। उनकी पहल पर कृषि मंत्रालय ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 4.50 करोड़ रुपए से स्थापित होने टीवी सेंटर को मंजूरी देते हुए राशि भी उपलब्ध करा दी है। टीवी सेंटर में किसानों की सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस रिकार्डिग रूम व स्टूडियो की स्थापना की जाएगी। स्टूडियो में सफल किसानों की कहानी को रिकार्ड करने के अलावा टीवी सेंटर का कैमरा सीधे किसानों के खेतों पर जाकर उनकी समस्याओं को शूट करेगा। स्टूडियो में बैठे वैज्ञानिक कैमरे के जरिए पौधे की बीमारियों सहित किसानों को खेती-बारी में आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान करेंगे। कुलपति डॉ. चौधरी ने बताया कि स्टूडियो में एडिटिंग से लेकर रिकार्डिग सहित अन्य सुविधाएं होंगी। प्रथम चरण में टीवी सेंटर से पांच कृषि विज्ञान केन्द्रों को जोड़ा जाएगा। जहां किसान सेटेलाइट के जरिए अपनी समस्याओं निदान पाएंगे। कुलपति ने बताया कि स्टूडियो के संचालन के लिए राष्ट्रीय स्तर के गुणवत्ता वाले कैमरामैन व संपादन टीम को रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि टीवी सेंटर ज्ञान प्रचार-प्रसार केन्द्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि टीवी सेंटर के लिए अगर और भी राशि की जरूरत होगी तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा।