रविवार, 26 सितंबर 2010
मॉनसेंटो शुरू करेगी मोबाइल आधारित सेवा
शुक्रवार, 24 सितंबर 2010
नए रूप में दिखेगी दियारा की खेती
क्या है दियारा विकास परियोजना
दियारा का अधिकांश हिस्सा बाढ़ में डूब जाता है। जब जमीन पानी से बाहर आती है तो बिना अधिक मेहनत के किसानों को इससे अच्छी उपज प्राप्त हो जाती है। अगस्त से लेकर जनवरी तक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों का चयन किया जाएगा और उन्हें सब्जी, दलहन की खेती, मछली पालन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को जिलास्तर के अलावा राज्यस्तर पर भी प्रशिक्षित किया जाएगा। लौकी, खीरा, परवल, तरबूज, खरबूज, करैला, झींगा, नेनुआ, सहजन, बोरा, शकरकन्द, तीसी, मिश्रीकंद, मसूर, गर्मा मूंग, मटर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि दियारा विकास योजना के तहत किसानों के बीच बीज वितरण, पौधा वितरण, कृषकों को राज्य के अंदर व बाहर भ्रमण एवं प्रशिक्षण का आयोजन कर उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि किया जाना है। इसके अतिरिक्त बॉयो जैविक, एवं बॉयो रसायान का वितरण, मिनी किट वितरण आदि कार्यक्रमों के साथ- साथ जैविक सत्यापन, बेबीकॉर्न का बाजार व्यवस्था के साथ उत्पादन प्रमुख है। साथ ही किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए उनके लिए बांस बोरिंग की व्यवस्था की जाएगी। दियारा विकास परियोजना के तहत चयनित किसानों को बेबीकॉर्न की खेती की जानकारी दी जाएगी। बेबीकॉर्न यानी शिशु मक्का के बीज व जैविक उपादान उपलब्ध कराया जाएगा। किसानों द्वारा उपजाए गए बेबीकॉर्न की खरीद की व्यवस्था सरकार द्वारा फल-सब्जी विकास निगम के माध्यम से की जाएगी। बेबीकॉर्न हर मौसम में उपजाया जा सकता है। एक एकड़ में मात्र 2400 रुपए का खर्च आता है। इसकी जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। बेबीकॉर्न का उपयोग लजीज व्यंजन बनाने, सलाद के रूप में काफी लोकप्रिय है।
बुधवार, 22 सितंबर 2010
आलू से चालू होगी किसानों की आमदनी
सोमवार को कृषि विज्ञान केन्द्र, सबौर आए परिषद के वैज्ञानिक डॉ. प्रेम स्वरूप ने पीरपैंती, साहु परवत्ता, सरधो, पकड़तल्ला एवं कहलगांव सहित 25 किसानों के साथ विचारोपरांत बीज उत्पादन के लिए उनका निबंधन किया। इस मौके पर किसानों ने समझौते के आधार पर बीज के लिए प्रति हेक्टेयर क्रमश: 42 एवं 12 हजार रुपए भी जमा किए।
परिषद के वैज्ञानिक ने बीज उत्पादन के प्रति इच्छुक किसानों से कहा कि उनके द्वारा उत्पादित बीज को बाजार मूल्य पर खरीद भी लिया जाएगा और 15 हजार रुपए भी वापस कर दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त बीज उत्पादन में खाद एवं कीट नाशक दवाईयों पर खर्च हुए 15 हजार तक में उसकी क्रय रसीद प्रस्तुत करने पर साढ़े सात हजार रुपए की और वापसी की जाएगी।
वहीं मटर बीज उत्पादन के लिए किसानों से प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपए आधार बीज के लिए जमा लिए गए। उनके भी उत्पादित बीज बाजार मूल्य पर खरीद लिए जाएंगे और मौके पर ही 12 हजार रुपए वापस कर दिए जाएंगे। इसके अलावा खाद एवं कीट नाशक दवाई पर आये खर्च में भी पांच हजार रूपये की छूट दी जाएगी। उक्त जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने दी।
कार्यक्रम समन्वयक ने कहा
कृषि विज्ञान केन्द्र ने आगामी रबी मौसम में 100 से अधिक हेक्टेयर में उन्नत किस्मों के गेहूं बीज के उत्पादन की योजना बनाई है। इसके लिए जिले के विभिन्न प्रखंडों से इच्छुक किसानों का चयन कर लिया गया है। पीरपैंती के लक्ष्मीपुर में 72 एकड़, हरदों में 30, सुल्तानगंज के तिलकपुर में 40 तथा खानकित्ता में 12 एकड़ जमीन में गेहूं बीज के उत्पादन का लक्ष्य है। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि चयनित किसानों को विवि. दर पर प्रजनक एवं आधार बीज मुहैया कराया जाएगा तथा उत्पादक तकनीक कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक बताएंगे। पकड़तल्ला एवं सिमरों के पचास-पचास एकड़ भू-भागों में मसूर बीज उत्पादन की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
मंगलवार, 21 सितंबर 2010
किसानों के लिए रेडियो स्टेशन शुरू
रेडियो स्टेशन के लिए आधुनिक प्रसारण केन्द्र भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा सबौर में भी 100 किलोमीटर प्रसारण क्षमता के रेडियो स्टेशन का प्रस्ताव है। यहां भी जल्द ही रेडियो स्टेशन चालू हो जाएगा। रेडियो स्टेशन के बाद किसानों की समस्याओं का जीवंत प्रसारण टीवी पर होगा। इसके लिए कुलपति डॉ. चौधरी की पहल ने रंग लाना शुरू कर दिया है। उनकी पहल पर कृषि मंत्रालय ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 4.50 करोड़ रुपए से स्थापित होने टीवी सेंटर को मंजूरी देते हुए राशि भी उपलब्ध करा दी है। टीवी सेंटर में किसानों की सुविधा के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस रिकार्डिग रूम व स्टूडियो की स्थापना की जाएगी। स्टूडियो में सफल किसानों की कहानी को रिकार्ड करने के अलावा टीवी सेंटर का कैमरा सीधे किसानों के खेतों पर जाकर उनकी समस्याओं को शूट करेगा। स्टूडियो में बैठे वैज्ञानिक कैमरे के जरिए पौधे की बीमारियों सहित किसानों को खेती-बारी में आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान करेंगे। कुलपति डॉ. चौधरी ने बताया कि स्टूडियो में एडिटिंग से लेकर रिकार्डिग सहित अन्य सुविधाएं होंगी। प्रथम चरण में टीवी सेंटर से पांच कृषि विज्ञान केन्द्रों को जोड़ा जाएगा। जहां किसान सेटेलाइट के जरिए अपनी समस्याओं निदान पाएंगे। कुलपति ने बताया कि स्टूडियो के संचालन के लिए राष्ट्रीय स्तर के गुणवत्ता वाले कैमरामैन व संपादन टीम को रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि टीवी सेंटर ज्ञान प्रचार-प्रसार केन्द्र के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि टीवी सेंटर के लिए अगर और भी राशि की जरूरत होगी तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा।